सामंजस्यपूर्ण घर के लिए वास्तु शास्त्र की 9 मूल बातें

Rita Deo Rita Deo
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यदि वास्तु शास्त्र के सिद्धांतो को मद्देनज़र रख कर घर की सज्जा की जाए तो आप निर्माण के दौरान की गयी खामियों को दूर कर सकते हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि वास्तु शास्त्र से प्रेरित घरों में आमतौर से सजावट शांतिपूर्ण वातावरण को बनाये रखने से जुड़े होते हैं। लेकिन बहुत कम लोग यह जानते है की यह विद्या घर में सामंजस्यपूर्ण जीवन बनाये रखने से कहीं अधिक है क्योकि घर में प्रत्येक स्थान का सही उपयोग करने के साथ-साथ उस हिस्से को गतिविधि के अनुरूप सजावट करने के बारे में भी सुझाव देता है।  

वास्तुकला की विद्या मनुष्य और प्रकृति के बीच एक माध्यम का प्रतिनिधित्व करता है और स्वस्थ, धनी और शांतिपूर्ण निवास के लिए उचित दिशानिर्देशों का ज्ञान भी प्रदान करता है, इसीलिए यहाँ हमने इसके 9 सबसे मुख्या प्रणालियों का वर्णन किया है।

1. प्रवेश द्वार का रखरखाव

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घर का मुख्य प्रवेश द्वार, धनात्मकता और खुशहाली को आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण मार्ग है और वह जगह है जहां घर की ऊर्जा बाहर की दुनिया से अवशोषित होती है। यह क्षेत्र घर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है इसीलिए इसे स्वच्छ, आकर्षक और सुंदर बनाये रखना ज़रूरी है।

2. घर के कोनो का सदुपयोग

वास्तुशिल्प प्रणाली के सिद्धांतो के मुताबिक बनाया हुआ घर का नक्शा, गृहस्वामी के विभिन्न ज़रूरतों के पहलुओं के साथ जुड़े क्षेत्रों को निर्धारित करने में मदद करता है । इस विद्या में बुनियादी पांच तत्वों की शक्तियां – वायु, जल, पृथ्वी, अग्नि और आकाश शामिल हैं, इसीलिए घर संरचना के भीतर के अंतरिक्ष संगठन में मदद करती है।

3. उचित कलाकृति चुनें

हर कमरे में क्षेत्र की रंग-सज्जा के अनुसार दीवारी कला चुनें क्योकि नकारात्मक या तनावपूर्ण छवियों का इस्तेमाल कभी नहीं किया जाना चाहिए। सुरुचिपूर्ण छवियां अक्सर मजबूत और मैत्रीपूर्ण संगती बनाये रखने में सहायक होती है इसलिए शयनकक्ष में रंग और सज्जा का सही ताल-मेल होना चाहिए जो सामंजस्यपूर्ण वातावरण को बनाये रखे।

4. सीखने के माहौल को प्रोत्साहित करें

पुस्तकों के लिए सराहना दिखाने और सीखने का माहौल बनाने के लिए पुस्तकों को प्रदर्शित करें। लेकिन धुल और कीड़े-मकोड़ो से बचने के लिए उन्हें सिर्फ ग्लास के द्वार से सजा बंद बुकशेल्फ़ में जगह दें। आकार के अनुसार पुस्तकों की व्यवस्था करें और उन्हें शेल्फ पर बड़े करीने से या ज्यामितीय रूप से सजा दें।

5. प्रकाश और वायु का मुक्त संचलन

प्राकृतिक सूरज की रोशनी हमारे जीवन में सबसे ठोस और मौलिक ऊर्जा स्रोत है तो यह कोई आश्चर्य नहीं है कि वास्तुशिल्प में प्राकृतिक प्रकाश की अलग विशेषता है । इसलिए प्राकृतिक हवा और रौशनी का खिड़कियों और दरवाज़ों द्वारा प्रवेश, वास्तुशास्त्र में ज़रूरी मन जाता है ताकि घर में हर वक़्त स्वच्छ वातावरण बना रहे ।

6. घर में कार्यस्थल के व्यवस्था

अगर आप घर से काम करते है तो अपने गृह-कार्यस्थल वाले मेज और कुर्सी को इस तरह व्यवस्थित करें  आप काम करते समय द्वार को देख सकें। यदि कमरे में पर्याप्त जगह नहीं है, तो बस दर्पण को सहारा लेकर कार्य-स्थल को ऐसे सजाये की हर समय द्वार पर बाधा-रहित दृष्टि हो ताकि अच्छे व्यवयसिक  अवसरों का सबसे ज्यादा फायदा मिले।

7. कार्यानुसार सामग्री और स्थान के चुनाव का महत्व

फेंग शुई में हर तत्व जैसे के लकड़ी, धातु, कांच और कंकरीट सभी की एक निश्चित ऊर्जा होती है और घर के निर्माण के दौरान जिनमे सही संतुलन बनाये रखना ज़रूरी है । पूर्वी कमरे में, इस तरह के लकड़ी के तत्वों का समावेश इसे परिपूर्ण करता हैं।

8. रौशनी और ऊर्जा का संचार

कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में हमारी ऊर्जा निकालने की शक्ति है इसलिए इन अप्रयुक्त वस्तुओं को  शयनकक्ष और ध्यानकक्ष से दूर रखना ही अच्छा है जैसे इस कमरे में कृत्रिम रौशनी और प्राकृतिक रौशनी का संगम ऊर्जा का संतुलन बनाये रखा है।

9. वास्तुशास्त्र से शयनकक्ष को आरामदेह बनाएँ

बिस्तर को ऐसी स्थिति में रखा जाना चाहिए जिससे आप सुरक्षित महसूस कर सकें इसीलिए आमतौर पर उसे दरवाजे पर नज़र रखने की अवस्था में बैठाना चाहिए। बेडरूम में शान्ति और उर्जाओ में सामंजस्य बैठाये रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक आइटम को दूर रखे और बिस्तर पर हलके रंगो के चादरों का इस्तेमाल करे जो इंद्रियों को शांत कर सके ।

छोटे घर के सज्जा प्रेरणा के लिए इन 9 कमरों की सजावट पर नजर डालें।

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